शनिवार, 7 सितंबर 2019

आख़िर काले अर्थप्रखंड (ब्लैक इकोनॉमी सेक्टर) में बुराई क्या है?



काला प्रखंडआर्थिक व्यवस्था का वह हिस्सा है जिसकी विशेषताएँ हैं: (1) राष्ट्रीय आकलन से बाहर होना और इसके कारण उसकी गतिविधियों का अपारदर्शी (opaque) होना, (2) राजस्व (टैक्स आदि) में योगदान नहीं करना, (3) वर्जित (prohibited) क्रियाकलापों, अपराधों, का सम्पोषण करना, (4) सफेद अर्थप्रखंड के साथ अनपेक्षित प्रतियोगिता करना, उसमें छिद्र पैदा करना, उसका शोषण करना, उसे असंतुलित और भ्रमित करना, (5) सामाजिक और राजनीतिक सीमाओं में सेंध लगाना, (6) विकास के प्रयासों एवं उनकी दिशा को बहकाना, तथा (7) प्रतिकारी (countervailing) व्यवस्था के रूप में काम करना|
काले अर्थप्रखंड में ऐसे बाज़ारों का उदय, विकास और सशक्तीकरण होता है जो सफ़ेद अर्थप्रखंड में जनसाधारण के अधिकारों तथा कर्त्तव्यों में शामिल होते हैं, या क़ानूनी/नैतिक रूप में वर्जित होते हैं| न्याय का बाज़ार, गुंडागर्दी का बाज़ार, असत्यापित नागरिक सुविधाओं का बाज़ार, नक़ली शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का बाज़ार, अनाधिकार अनुदान,कृपादृष्टि और तरफ़दारी का बाज़ार, प्रतिरूपों (counterfeit) का बाज़ार, इत्यादि काले बाज़ार के उदाहरण हैं| इन बाज़ारों से जो सिस्टम बनता है उसे आर्थिक व्यवस्था का काला प्रखंड कहते हैं|
अगर हम अर्थशास्त्र को यथास्थितिविज्ञान (positive science) मानें तो काला अर्थप्रखंड और सफ़ेद अर्थप्रखंड क्रमिक विकास की कहानी के पात्र हैं, न कोई अच्छा है न बुरा | दोनों मिलकर समाज की संगठनात्मक और विघटनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं| शेर के दाढ़ और नाख़ून शेर की जिंदगी और हिरन की मौत के साधनमात्र हैं| क्या अच्छा क्या बुरा| बर्बाद होना, बेकार होना, बुरा होना, इत्यादि सापेक्षिक भाव हैं| विना आदर्शों को स्थिर किये इनका कोई अर्थ नहीं होता|
लेक़िन अर्थशास्त्र सीमित अर्थ में यथास्थितिविज्ञान है| इसकी सीमा पर एक आदर्श खड़ा है अतः यह उन सामाजिक आदर्शों की अवहेलना नहीं कर सकता|
काला अर्थप्रखंड सामाजिक आदर्शों की अवहेलना करता है; सफ़ेद अर्थप्रखंड को पंगु बनाता है, बीमार करता है, और इसीलिए इसका नियंत्रण आवश्यक है| ऐसा माना जाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था में काले सेक्टर का हिस्सा विश्व में सबसे ऊपर है| अकेले स्विस बैंकों में भारतीयों का US$1,456 बिलियन है जो बाक़ी सारी दुनियाँ के कुलयोग से अधिक है| यह स्वतंत्रता के प्राप्ति के बाद भारत के नेताओं और पूँजीपतियों की गाढ़ी कमाई से संचित हुआ है| ऐसा माना जाता है कि अगर यह राशि भारत लौट आये तो भारत विश्व का सर्वाधिक धनी देश होगा (https://en.wikipedia.org/wiki/Black_market)|

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें