सोमवार, 22 जुलाई 2019

पिजड़े की चिड़िया

मैं पिजड़े की चिड़िया हूँ
दरवाज़ा मत खोलो
धक्के देकर मुझे
बाहर मत करो
पिंजड़ा है घर मेरा
मत करो मुझे ज़बरन बेघर |
कटोरियों में दाना-पानी
चारो तरफ़ छड़ों की पक्की दीवार
बिल्ली का डर नहीं
ना ही झंझावात
बाज़ नहीं, चील नहीं
सुरक्षित हूँ मैं
मत करो दया
मुझपर ज़बरन, अनर्थक |
क्या करुँगी लेकर खुला आसमान?
उड़ूँगी, यही न?
उड़कर क्या मिलता है?
कहोगे तुम, स्वतंत्रता
लेकिन क्या करुँगी मैं
लेकर स्वतंत्रता,
भटकने की छूट,
ख़तरों से खेलना,
बेमतलब चहकना?
ये सारे चोचले
खुराफ़ात हैं मन के |
रहने दो ख़ुश मुझे
छोटी-सी खोली में
यह खोली मेरी है
आसमां चाहे जितना बड़ा हो
वह औरों का है, मेरा नहीं
मत करो मुक्त मुझे
मत करो मज़बूर
बनने को अज़नबी
जंगली झुंड में |