शनिवार, 19 अक्तूबर 2019

भारतीय अर्थशास्त्र में फैड

फ़ैशन और फैड वे व्यवहार हैं या सोच हैं जो बहुत तेज़ी से बहुत सारे लोगों के चहेते हो जाते हैं, आधुनिकता के प्रतीक समझे जाते हैं, पर कुछ वर्षों के बाद घिस-पिट कर मिट जाते हैं| भारतीय अर्थशास्त्र में इस तरह के अनेक फ़ैशन और फैड आये हैं जिन्हें मैंने ख़ुद देखा है| अभी हम उनके वारे में बातें करेंगे|
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद आर्थिक विकास का फैड चला| पहले आत्म-निर्भरता, सर्वोदय और कुटीर उद्योग का फैड चला| चरखा उसका प्रतीक था| लगता था कि चरखा कातने से देश की सारी आधि-व्याधि दूर हो जाएगी| लेकिन यह फैड पंद्रह वर्षों में दम तोड़ गया|
इसी बीच प्लैनिंग और भारी सरकारी उद्योगों की स्थापना का फैड आया| स्वदेशी, कुटीर उद्योग, चरखा और ग्रामीण आत्मनिर्भरता को पुराना कहकर झटक दिया गया| सारे अर्थशास्त्री प्लैनिंग का गुणगान करने लगे, देश का औद्योगीकरण करने लगे|
वर्ष १९६४-६५ आते-आते कृषिक्षेत्र का फैड आ गया| नए बीज, रासायनिक उर्वरक, हरित क्रांति का फैड अर्थशास्त्रियों का चहेता बन गया| पूरे देश के अर्थशास्त्रियों के लिए सावन आ गया और उनके विचारों में हरित क्रांति छा गयी| सावन के आंधरे को सूझत हरी हरी| हरे शोधपत्रों की भरमार हो गयी|
हरित क्रांति कुछ दिनों में सूखने लगी और क्षेत्रीय असमानताओं के अध्ययन ने फैड का रूप धारण कर लिया| जिसे देखो वही क्षेत्रीय असमानताओं की चिंता में दुबला हुआ जा रहा है| अर्थशास्त्र का अर्थ हो गया क्षेत्रीय असमानताओं का अध्ययन और उसे दूर करने की विद्या| समझने वाले समझ गए और जो न समझे वे अनाड़ी थे| वर्गीय असमानता की तरफ़ किसी का ध्यान नहीं गया| वह तो ट्रिकल डॉन के चलते अपने -आप ख़त्म हो जायेगा|
फिर आया बैंकों के राष्ट्रीयकरण का फैड| इसे सब रोगों की एक दवा माना गया, उद्योग छोटे और बड़े, कृषि, पिछड़े क्षेत्रों का विकास और क्या-क्या नहीं| इसने राजनीतिक दरिद्रता को भी दूर किया| और तत्कालीन अर्थशास्त्रियों ने इसके ख़ूब गीत गाये|
इसके बाद वर्गगत असमानता का फैड आ गया| ग़रीबी को दूर करना जरूरी हो गया , पिछड़े तबक़े के लोगों को सामाजिक न्याय देना ज़रूरी हो गया| यह न हुआ तो कुछ नहीं हुआ|
ग़रीबी और वर्गगत असमानता दूर हुई नहीं कि वैश्वीकरण तथा आर्थिक खुलापन का फैड शुरू हो गया| लाख रोगों की एक दवा हाथ लग गयी| इसी पर धुआंधार रिसर्च होने लगे, शोधपत्र छपने लगे|
लेक़िन जल्द ही एक नया फैड आ गया - मानव विकास का फैड| अर्थशास्त्र के सारे जर्नल मानव विकास की चोंचलेबाजी से गंधा गए| सरकारों ने झूठ-सच संख्याओं से रिपोर्ट भर दिए और अर्थशास्त्रीगण ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स बना-बना कर कृतकृत्य हो गए| विकास का मतलब ह्यूमन डेवलपमेंट|
अब एक नया फैड आने वाला ही है| ज़मीन तैयार है| अगर आपका अर्थशास्त्र से कुछ भी रिश्ता है तो आप समझ गए होंगे| शुभं भूयात|
ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै।
(हम साथ-साथ प्रॉजेक्ट लें, साथ-साथ पेपर छपवाएँ, हमारा साथ-साथ विकास हो - हम मिल-जुल कर पैसा खायें - हम दोनों पढ़ने-पढ़ाने का ढोंग करते हुए तेजस्वी हों, एक दूसरे की पीठ को सहलाएँ, कभी एक दूसरे की पोल न खोलें)|
ॐ शांतिः शांतिःशांतिः|
इति फैडोपनिषद

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