सोमवार, 19 अगस्त 2019

विवेकशील हिंदुत्व (रैशनल हिंदुत्व - Rational Hindutva)

हिंदुत्व की धारणा चार वैचारिक स्तम्भों पर खड़ी है: (१) राष्ट्रीय एकता, (२) व्यक्तिवाद के ऊपर उठकर सामाजिक कल्याण की भावना की वरीयता, (३) ऐहिक (मैटेरियल) , बौद्धिक (इंटेलेक्चुअल) तथा आध्यात्मिक (स्पिरिचुअल) तत्वों का सामंजस्य, और (४) भारतीय संस्कृति और मूल्यों पर आधारित जीवन दर्शन|
राष्ट्रीय एकता की धारणा यह विश्वास है कि उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पूर्व में अरुणाचल, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम से लेकर पश्चिम में गुजरात तक भारत एक राष्ट्र है, एक सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक इकाई है, इसके कल्याण और सरोकार समन्वित है, इनपर ख़तरा समन्वित है और इसकी एकता की रक्षा राष्ट्रीय कर्त्तव्य है| सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, आचारपरता और भाषाओं की विविधता के बावजूद भारत एक राष्ट्र है| विभिन्न प्रांतों में इसका विभाजन केवल व्यवस्थापकीय सुविधा के लिए है जिससे राष्ट्रीय अछुण्णता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता|
विवेकशील हिंदुत्व की धारणा सामाजिक कल्याण को पहले दर्जे पर रखती है और व्यक्तिगत कल्याण को इसका मातहत समझती है| इसका एकसूत्री वर्णन करते हुए कौटिल्य कहते हैं कि कुल की रक्षा के लिए व्यक्ति को छोड़ दे, गांव की रक्षा के लिए कुल को छोड़ दे, इलाक़े की रक्षा के लिए गांव को छोड़ दे और आत्मा की रक्षा (आध्यात्मिकता) के लिए पार्थिव (भौतिक, materialistic, ऐहिक, worldly) स्वार्थों को छोड़ दे| संक्षेप में, कौटिल्य कहते हैं कि संहति (समुदाय, समाज) के हित में व्यक्तिगत स्वार्थ को छोड़ दे| भारतीय धर्म, नैतिकता, कर्त्तव्य और अधिकारों की विवेचना, राजनीतिक धारणाएँ, मूल्य और मानदंड, सभी कुछ सामाजिक कल्याण की वरीयता पर आधारित है| व्यक्तिगत स्वाथों के आपसी टकराव की उलझी हुई गुत्थी केवल सामाजिक कल्याण के दर्शन से सुलझाई जा सकती है|
आधुनिक भारतीय शिक्षा और चिंतन पर पश्चिम (विदेशों) में विकसित व्यक्तिवाद का बहुत असर पड़ा है| इस आयातित (aquired) व्यक्तिवाद का भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक आस्थाओं के साथ समन्वय नहीं हो सका| इसलिए व्यक्तिवाद पर आधारित आधुनिकतावाद और भारतीय रगों में बसी संस्कृति के बीच टकराव शुरू हुआ| इस टकराव से एक सामाजिक और बौद्धिक धुंध पूरे जनमानस पर छा गया और हम कर्त्तव्य विमुख होते गए| आधुनिक काल में ऐसा कोई दार्शनिक भारत में नहीं हुआ जो इस टकराव को सहयोगिता में बदल दे जिससे सामाजिक/बौद्धिक धुंध साफ हो जाये| विवेकशील हिंदुत्व की धारणा इसी धुंध को साफ करने के लिए है, आधुनिकता और भारतीय संस्कृति में सामंजस्य स्थापित करने के लिए है| इसके तहत हम आधुनिक होते हुए भी अपनी संस्कृति को कायम रख सकते हैं| जापान ने इसे कर दिखाया है, हम भारतीय भी कर सकते हैं|

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