शनिवार, 17 अगस्त 2019

युद्ध के प्रकार

युद्ध के अनेक प्रकार हैं जिसमें एक शाखा है राजनीतिक युद्ध| राजनीतिक युद्ध के पाँच मुख्य प्रकार हैं| (१) शीतयुद्ध, (२) कूटयुद्ध, (३) गृहयुद्ध, (४) सैन्ययुद्ध, और (५) विश्वयुद्ध| किसी भी राष्ट्र के देशभक्त इन युद्धों में दुश्मनों और दोस्तों की सही पहचान करते हैं, दोस्तों की मदद करते हैं, दुश्मनों के फेंके फंदों से अपने को बचाते हैं, दुश्मनों का मुक़ाबला करते हैं, दुश्मनों से अपने नागरिकों एवं संपत्ति को बचाते हैं, सजग रहते हैं, अनुशासित (disciplined) रहते हैं|
सेना सात तरह की होती है: (१) तैनात शस्त्रधारी सेना, (२) आरक्षित शस्त्रधारी सेना, (३) सहायक सेना, (४) कूटसेना, (५) प्रशासकीय सेना, (६) व्यवस्थापक सेना, और (७) जनसेना | पहली तीन तरह की सेना (जो प्रायः यूनिफार्म में रहती है और खुले रूप में शस्त्र रखती है) सरहद पर या उसके इर्द-गिर्द होती है और स्पष्ट रूप से लड़ाई लड़ती है| कूटसेना राष्ट्र के अंदर भी छिपी रहती है, मित्रदेशों में छिपी रहती है और शत्रुदेशों में भी छिपी रहती है| यह सेना साधारणतः शस्त्रों का इश्तेमाल नहीं करती, पर कूटनीति की वाहक होती है| प्रशासकीय तथा व्यवस्थापक सेना राष्ट्र की व्यवस्था को चाक-चौबन्द रखती है, अव्यवस्था और अराजकता पर नियंत्रण रखती है, पहली चार तरह की सेना को सुविधाएँ मुहैय्या करवाती है, यातायात और सम्प्रेषण तंत्र को क्षतिग्रस्त होने से बचाती है, नागरिकों के असंतुष्ट और विद्रोही होने पर रोकथाम करती है| जनसेना उपर्युक्त पहली छः तरह की सेना को हर तरह की सहायता और सुविधा प्रदान करती है, अराजकता नहीं होने देती है, यातायात और सम्प्रेषण तंत्र को टूटने से बचाती है, उत्पादक शक्तियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाती है, अफ़वाहों से बचती है, अफ़वाहों को फैलने-फैलाने से रोकती है, एकता को टूटने से बचाती है, आपसी कलहों को हवा देने से बचती है, नागरिक कर्तव्यों को सजग और समर्पित होकर निभाती है| कूटयुद्ध में दुश्मन सबसे पहले जनसेना पर हमला करके उसे कमज़ोर बनाता है, उसके बाद व्यवस्थापक तथा प्रशासकीय सेना पर छिपे (प्रच्छन्न) हमले करता है|
हर नागरिक किसी न किसी तरह राष्ट्र की सेना का एक अंग है| सेना के जवान केवल शस्त्रास्त्रधारी ही नहीं हैं, अपितु जनता भी है जिसके हाथों में कोई बंदूक नहीं होती|

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