गुरुवार, 29 मई 2025

कार्ल पॉपर की लॉजिक ऑफ डिसकॉवरी और हर्बर्ट सायमन की मॉडल्स ऑफ डिसकॉवरी

कार्ल पॉपर की लॉजिक ऑफ डिसकॉवरी और हर्बर्ट सायमन की मॉडल्स ऑफ डिसकॉवरी

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एक जमाना था जब मैं खूब पढ़ता था। NEHU को धन्यवाद। मुझे पढ़ने के लिए सैलरी देती रही, पढ़ाने के लिए नहीं। सप्ताह में चार क्लास। वह भी चाहें तो लें, चाहें तो न लें। यह सुविधा हर जगह नहीं मिलती।


हर्बर्ट सायमन कुछ समय के लिए अर्थशास्त्री थे। विलक्षण व्यक्तित्व। पहले ऑर्गेनाइजेशन साइंस के थे, फिर स्टैटिस्टिशियन  बने, फिर इकोनोमिक्स में आये और नोबेल प्राइज लेकर कंप्यूटर साइंस और सायकोलॉजी में चले गये। वे AI के जनकों में एक माने जाते हैं। काश! मैं उनके जैसा हो पाता!! उनका विद्यार्थी ही हो पाता!!!


तो इकोनोमिक्स के विद्यार्थी उनकी किताब कैसे न पढ़ें! इकोनोमिक्स में इन्नोवेशन को एक्सटर्नल माना जाता था। जोसेफ शुंपीटर ने इसपर खूब ध्यान दिया। सायमन ने इसे इंटरनलाइज करने के प्रयास किए। इसी संदर्भ में उनकी दो किताबें आयीं। मॉडल्स ऑफ मैन और मॉडल्स ऑफ डिसकॉवरी। 


कार्ल पॉपर अपनी किताब द लॉजिक ऑफ डिस्कवरी लिख चुके थे। लेकिन न तो यह Pragmatic थी और न इकोनोमिक्स में इन्नोवेशन को इंटरनलाइज करने के लिए मददगार। यह सायमन के लिए बचा था।


तो इन दोनों किताबों का जिस्ट आपके सामने रख रहा हूं। कुछ तो nostalgia के चलते, कुछ समय काटने के लिए। किताबें मेरे पास नहीं है। AI के सहारे कंपोज किया है। मैं अब और कर ही क्या सकता हूं। किस्मत का खेला, मुकद्दर का फेर। मकड़ी के जाले में फंस गया शेर।


I. "The Logic of Discovery" (या "The Logic of Scientific Discovery")— यह पुस्तक मूलतः कार्ल पॉपर (Karl Popper) द्वारा लिखी गई थी और 1934 में जर्मन में प्रकाशित हुई थी, जिसका अंग्रेज़ी अनुवाद 1959 में आया। यह 20वीं सदी की वैज्ञानिक विधि (scientific method) और ज्ञानमीमांसा (epistemology) की सबसे प्रभावशाली पुस्तकों में से एक मानी जाती है।


पुस्तक का मूल तर्क


1. विज्ञान की विधि: निरूपण नहीं, खंडन (falsification)


पॉपर का तर्क था कि विज्ञान का उद्देश्य सत्य को साबित करना नहीं, बल्कि गलतियों को उजागर करना है। कोई सिद्धांत कभी पूर्ण रूप से सिद्ध नहीं किया जा सकता, केवल खंडित (falsify) किया जा सकता है। इसलिए, एक वैज्ञानिक परिकल्पना वही हो सकती है जिसे परीक्षण करके झुठलाया जा सके।


2. Inductive Logic की आलोचना: परंपरागत वैज्ञानिक विधि induction (विशेष से सामान्य की ओर बढ़ना) पर आधारित थी। पॉपर ने तर्क दिया कि इंडक्शन तर्कप्रणाली की दृष्टि से अवैध है, क्योंकि कोई भी संख्या में पुष्ट करने वाले उदाहरण ‘सत्य’ की गारंटी नहीं दे सकते।


3. नवीन विज्ञान के लिए मानदंड: 'Falsifiability': यदि कोई सिद्धांत कभी भी गलत नहीं सिद्ध किया जा सकता, तो वह वैज्ञानिक नहीं है। उदाहरण के लिए  "भगवान हर चीज़ को नियंत्रित करते हैं" — यह सिद्धांत कोई परीक्षणीय दावा नहीं है, इसलिए गैर-वैज्ञानिक है।


4. विज्ञान और छद्म-विज्ञान का भेद: ज्योतिष, फ्रायड का मनोविश्लेषण, या मार्क्सवाद जैसे विचार पॉपर के अनुसार विज्ञान नहीं हैं क्योंकि ये हर परिस्थिति को सही ठहराने की कोशिश करते हैं, बजाय इसके कि वे अपने को गलत सिद्ध करने के लिए जोखिम में डालें।


मुख्य विषयवस्तु (Contents Overview)


1. प्रस्तावना: विज्ञान की तर्किक नींव पर चर्चा


2. सिद्धांत और अवलोकन: विज्ञान में निरीक्षण की भूमिका


3. Induction की समस्या: डेविड ह्यूम से चर्चा


4. फाल्सीफायबिलिटी: विज्ञान का मापक मानदंड


5. प्रायिकता और परीक्षण: सांख्यिकीय विधियों की आलोचना


6. सिद्धांतों का विकास: अनुमान और परिकल्पना की भूमिका


7. पुनरावृत्त परीक्षण और वैज्ञानिक विकास का चक्र


निष्कर्षतः "The Logic of Discovery" ज्ञानमीमांसा में यह क्रांतिकारी तर्क रखती है कि विज्ञान का उद्देश्य सत्य सिद्ध करना नहीं, बल्कि अस्थायी रूप से टिके रहना जब तक खंडन न हो है। यह विज्ञान को अध्ययन की पद्धति (methodology) के रूप में देखती है, न कि विश्वास के तंत्र (belief system) के रूप में।


II. Herbert A. Simon की पुस्तक "Models of Discovery and Other Topics in the Methods of Science" (1977) विज्ञान की खोज-प्रक्रिया (discovery process) को समझने और मॉडलिंग करने का एक गहन प्रयास है। यह पारंपरिक दर्शनिक दृष्टिकोण — जैसे "The Logic of Discovery" — से मौलिक रूप से अलग रास्ता अपनाती है, जहाँ खोज केवल एक रचनात्मक अंतर्ज्ञान मानी जाती है। Simon के विचार ज्यादा Pragmatic हैं।


मुख्य कंटेंट: Models of Discovery


1. खोज (Discovery) एक प्रक्रियात्मक (procedural) चीज़ है


– साइमन का मुख्य तर्क है कि खोज कोई रहस्यमयी या केवल अंतर्ज्ञान-आधारित चीज नहीं, बल्कि संगठित, नियमों के अधीन प्रक्रिया (process) है।

– यह प्रक्रिया कंप्यूटेशनल मॉडल (जैसे प्रोग्राम, एल्गोरिदम) से व्यक्त की जा सकती है।


2. Heuristics और Bounded Rationality


– मनुष्य पूर्ण तर्कशील नहीं होता (bounded rationality), बल्कि सीमित संसाधनों और सूचनाओं में ह्यूरिस्टिक (heuristic) तरीके अपनाता है।

– खोज भी इसी तरह की सीमित-तर्कशीलता वाले अन्वेषण (exploration) से उपजती है।


3. साइंटिफिक इन्वेंशन के कंप्यूटर मॉडल


– साइमन और न्यूवेल के Logic Theorist व General Problem Solver (GPS) जैसे प्रोग्राम दिखाते हैं कि प्रमेयों की खोज, गणितीय खोज और वैज्ञानिक धारणा-निर्माण (hypothesis formation) प्रोग्राम करने योग्य प्रक्रियाएँ हैं।


4. अभ्यास में विज्ञान (Science-in-Practice)


– विज्ञान कोई शुद्ध ‘तार्किक सिद्धांत का सेट’ नहीं है, बल्कि यह समस्या सुलझाने की गतिविधि है, जिसमें अवलोकन, अनुमान, परीक्षण, संशोधन जैसे चक्र होते हैं।


5. Induction और Abduction पर विश्लेषण


– साइमन दिखाते हैं कि abduction (नव-परिकल्पना प्रस्तावित करना) को भी एल्गोरिदम और नियमों से मॉडल किया जा सकता है।


क्यों महत्त्वपूर्ण है साइमन का काम?


यह दिखाता है कि वैज्ञानिक सोच का कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से गहरा संबंध है।


Discovery कोई 'मायावी प्रेरणा' नहीं, बल्कि सिस्टमेटिक प्रक्रियाओं का परिणाम है।


इससे वैज्ञानिक नवाचार और रचनात्मकता को शिक्षा, मशीनों और सॉफ़्टवेयर में मॉडल करने का रास्ता खुलता है।


बस।

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